Sunday, October 28, 2012

Oriya Song ‘रस-पञ्चक ’/ कवि नारायण भरसा मेहेर


‘Rasa-Panchaka’
Oriya Bhajan By: Poet Narayan Bharasa Meher
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ओड़िआ भजन
रस-पञ्चक
रचयिता : कवि नारायण भरसा मेहेर
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(र)
रस-सागर  हे, 
रसिक नट-नागर  हे ।
रसाळसा य़ोषा-  मानङ्कु  गोपरे
रसाइछ  बंशीधर  हे  (घोषा)
*
(स)
सङ्गिनी राधिका- हृदे केते दका
देइअछ चित्तचोर  हे,
सरसिज-नेत्री-  चाहाँणीकि देखि
लीळा करिछ अपार  हे ॥ (१)
*
(पं)
पङ्कज-बदनी    राधा ठाकुराणी-
प्रीति-कुसुम-भ्रमर  हे,
पञ्चम गुञ्जने  मुरलीर स्वने
मोहिछ प्रिया अन्तर  हे ॥ (२)
*
(च)
चतुर  मोहन  कळा-श्रीबदन
सकळ रस- शेखर  हे,
चपळे य़ाइण  लम्पटे आपण
हेल कळा भूतेश्वर  हे ॥ (३)
*
(क)
कमळ-लोचन   कलुष-मोचन
जय कृष्ण य़ोगेश्वर  हे,
कहे नारायण भरसा, शरण
पशिलि तब पयर  हे ॥ (४)

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(Taken from 'Narayana-Bhajanaavali' of Poet Narayan Bharasa Meher) 
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Oriya Bhajan ‘जय जय चन्द्रशेखर’ : कवि नारायण भरसा मेहेर


 ‘Jaya Jaya Chandra-Shekhara’
Oriya Bhajan By: Poet Narayan Bharasa Meher
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ओड़िआ भजन
जय जय चन्द्रशेखर
रचयिता : कवि नारायण भरसा मेहेर
(राग - रामकेरी)
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जय जय चन्द्रशेखर   जय हे बिश्वनाथ,
बाराणसी-बासी ईश्वर  जय पार्बती-कान्त ॥ (१)

नाथ अट तिनि लोकर   महादेब आपण,
महाशमशाने शङ्कर     सुखे कर भ्रमण ॥ (२)

केते दुःखी रङ्क तुम्भर    दरशन-लाळसी,
काशी पुण्यक्षेत्रे य़ाइण  पाप दिअन्ति नाशि ॥ (३)

अकर्माङ्क कर्मदायक   तुम्भे भबानीधब,
शिब शिब नाम जपिण  केते तरिले जीब ॥ (४)

दृढ़े अबा मूढ़े य़े जन   आश्रे करे तुम्भरे,
बर दिअ आशुतोष हे  ताकु स्नेहे आदरे ॥ (५)

देबङ्क उपरे देबता   तुम्भे अट हे शम्भु,
कर सर्ब दुःख हरण   तोषे हे महाप्रभु ॥ (६)

तुम्भ पाद-पद्मे निरते  नारायण भरसा,
जणाण करुछि प्रसन्ने  खण्ड दुःख दुर्द्दशा ॥ (७)
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(Extracted from 'Narayana- Bhajanaavali'  of Poet Narayan Bharasa Meher) 
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