‘Rasa-Panchaka’
Oriya Bhajan By: Poet Narayan Bharasa
Meher
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ओड़िआ भजन
‘रस-पञ्चक ’
रचयिता : कवि नारायण भरसा मेहेर
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(र)
रस-सागर हे,
रसिक नट-नागर हे ।
रसाळसा य़ोषा- मानङ्कु
गोपरे
रसाइछ बंशीधर
हे ॥ (घोषा)
*
(स)
सङ्गिनी राधिका- हृदे केते दका
देइअछ चित्तचोर हे,
सरसिज-नेत्री- चाहाँणीकि देखि
लीळा करिछ अपार हे ॥ (१)
*
(पं)
पङ्कज-बदनी राधा ठाकुराणी-
प्रीति-कुसुम-भ्रमर हे,
पञ्चम गुञ्जने मुरलीर स्वने
मोहिछ प्रिया अन्तर हे ॥ (२)
*
(च)
चतुर मोहन कळा-श्रीबदन
सकळ रस- शेखर हे,
चपळे य़ाइण लम्पटे आपण
हेल कळा भूतेश्वर हे ॥ (३)
*
(क)
कमळ-लोचन कलुष-मोचन
जय कृष्ण य़ोगेश्वर हे,
कहे नारायण भरसा, शरण
पशिलि तब पयर हे ॥ (४)
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(Taken from 'Narayana-Bhajanaavali' of Poet Narayan Bharasa Meher)
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